वाराणसी| संविधान दिवस के अवसर पर मानवाधिकार जननिगरानी समिति, सावित्री बाई फुले महिला पंचायत, जनमित्र न्यास, यूनाइटेड नेशन वोलंटरी ट्रस्ट फण्ड, जिनेवा और इंटरनेशनल रिहैबिलिटेशन कौंसिल फॉर टार्चर विक्टिम, डेनमार्क के संयुक्त तत्वाधान में यातना और हिंसा पीडितो का सम्मान समारोह “न्याय, स्वतंत्रता, समता” का आयोजन किया गया|कार्यक्रम की शुरुआत में मानवाधिकार जननिगरानी समिति के संयोजक डॉ लेनिन रघुवंशी ने बताया कि कल अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के अवसर पर यातना और हिंसा पीड़ित महिलाओ का सम्मान समारोह “नो- यूनाइट टू एंड वायलेंस अगेंस्ट वीमेन (Say No – Unite to End Violence against Women) का आयोजन किया गया था और यह लगातार मानवाधिकार दिवस 10 दिसम्बर तक चलता रहेगा|
सावित्री बाई फुले महिला महिला पंचायत की संयोजिका सुश्री श्रुति नागवंशी ने कहा कि भारतीय संविधान की प्रसंगिगता इसलिए अधिक है क्योंकि यह महिलाओ को समानता का आधिकार प्रदान करता है| अभी भी महिलाओ के विरुद्ध हिंसा देश की क़ानूनी और सामाजिक सेवाओ पर अनावश्यक भर पड़ता है और साथ ही साथ उत्पादकता की भारी क्षति होती है| यह एक ऐसी महामारी है जो जान लेती है, प्रताड़ित करती है और विकलांग बनाती है- शारीरिक, मानसिक, लैंगिक और आर्थिक रूपों में| यह मानवाधिकार का सर्वाधिक उलंघन करने वाली सामाजिक बुराई है| यह स्त्री की समानता, सुरक्षा, गरिमा, आत्मसम्मान और मौलिक अधिकारों को ख़ारिज करती है कार्यक्रम के अंत में संविधान का प्रस्तावना मानवाधिकार जननिगरानी समिति सुश्री शिरीन शबाना द्वारा पढ़ा गया|
डॉ लेनिन रघुवंशी
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